वृन्दावन, (राजपथ मथुरा ब्यूरो)। कुम्भ मेला में शनि अमावस्या पर अन्तिम शाही स्नान में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। मेले में परंपरागत रूप से निकाली गयी शाही सवारी का अदभुत नजारा देख कर हर कोई प्रफुल्लित हो शाही सवारी को टकटकी लगाकर देखता रहा। शाही सवारी का हजारों की संख्या में श्रद्धालू व स्थानीय लोगों ने भाव विभोर होकर स्वागत किया। सर्वप्रथम तीनों अखाड़ों के द्वारा प्रमुख घाटों पर स्नान किया गया। इसके पश्चात आमजन ने यमुना मां के जोरदार तरीके से जयकारे लगाते हुए डुबकी लगाई। मेले का नजारा अदभुत आश्र्यचकित करने वाला था जहां चहुंओर नरमुण्ड ही नरमुण्ड नजर आ रहे थे। मेले में आये लोगों का उत्साह देखते ही बन रहा था। जैसे ही संतों की पेशवाई निकली, चारों ओर जयघोष होने लगा। पूरा वातावरण जयकारों से गूंज उठा। कहीं ढोल तो कहीं शंख की आवाज श्रद्धालुओं को आनंदित करने लगी। इस बीच मेले में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किये गये इंतजाम पूर्व के शाही स्नान पर की गयी व्यवस्था से बेहतर रहे।
यातायात को व्यवस्थित रखने के लिए पुलिस के द्वारा किसी भी प्रकार के पास को अमान्य करने का निर्णय सही साबित हुआ। शनि अमावस्या पर्व पर कुम्भ पूर्व वैष्णव बैठक के तीसरे और अंतिम शाही स्नान पर कान्हा की नगरी में उल्लास का माहौल छाया रहा। राधारानी की जय जयकार से शहर अनुगुंजित हो उठा। यमुनातट पर सन्त महंतो के सान्निध्य में भक्तो ने भक्ति के सागर में गोते लगाये। नगर के मंदिरों में आस्था का ज्वार उमड़ता दिखाई दिया। अंतिम शाही स्नान पर आध्यात्म व संस्कृति का अदभुत संगम चहुंओर दिखाई दिया। सिर्फ राधे राधे के जयकारे गूंजे। मानो धार्मिक नगरी में आज आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। देवरहा बाबा मार्ग से शुरू हुई शाही पेशवाई में सजे धजे ऊंट घोड़ों पर बैठे साधु, बग्गियों में विराजित महामण्डलेश्वर, पटेबाजी करते नागा साधु न केवल सनातनी परम्परा के विराट वैभव का प्रदर्शन कर रहे थे, बल्कि सन्तमहंतो के आध्यात्मिक स्वरूप का दर्शन भी करा रही थी। नगरवासी तो जैसे इस अद्वितीय पल का साक्षी बनने को बेताब थे। कदम कदम पर ब्रजवासियों के स्वागत की अनवरत श्रंखला सन्तमहंतो को अभिभूत कर रही थी। सड़के फूलों की बरसात से पट गयी। लेकिन श्रद्धा से परिपूर्ण स्वागत अपने चरम पर था। हर कोई साधुओ को ब्रज संस्कृति की स्वागत परम्परा से रूबरू कराने को लालायित था।
कुंभ मेला क्षेत्र के अलावा चाहे परिक्रमा मार्ग हो या देवालयों को जाने वाले मार्ग पर हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही। इससे पहले वैष्णव महंत एवं सतों की शाही पेशवाई धूमधाम के साथ वृंदावन के प्रस्थान किया है। तीन अनि और 18 अखाड़ों के श्रीमहंतों की अगुवाई में निकाली जा रही शाही पेशवाई (जुलूस) में हजारों की संख्या में महंत एवं महाण्डलेश्वरों के अलावा संत पूरे राजशाही अंदाज में चल रहे हैं। शनिवर प्रात करीब साढे नो बजे शाही पेशवाई कुंभ क्षेत्र से शुुरु हुई। पेशवाई में आगे-आगे अखाड़ो के वीर ध्वज लेकर संतजन चल रहे हैं। इसके पीछे पुष्पों से सजी धजी बग्घियों में तीन अनियों के श्रीमहंत चांदी और पुष्पों के छत्रों में विराजमान होकर चल रहे हैं। इनके पीछे अखाड़ों और खालासाओं के महंत जन, महामण्डलेश्वर और उनके पीछे वैष्णव संत पूरे उल्लास के साथ आगे बढ रहे हैं।
पेशवाई के मध्य नागा खिलाड़ी संत युद्ध कौशल का परिचय दे रहे हैं। उनके तलवारों, बनैटी, पटा, गुटका फिरकी को लोग कौतुहल पूर्वक दे रहे है। वहीं मार्ग में जगह-जगह भक्तजन पेशवाई में शामिल श्रीमहंत और संत एवं देशभर से आए हजारों भक्तों पर पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत कर रहे हैं। नगर भ्रमण करने के पश्चात शाही पेशवाई कुंभ क्षेत्र पहुंची। उसके बाद शाही स्नान की परंपरा का निर्वाह करेंगे। शौभा यात्रा में एडीजी राजीव कृष्ण, जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल, एसएसपी गौरव ग्रोवर सहित पुलिस अधिकारियों ने साधु-सतों का पुष्प वर्षा कर उनका स्वागत किया है।