वैशाख महीने की पूर्णिमा तिथि को बुद्ध पूर्णिमा और बुद्ध जयंती के नाम से भी जाना जाता है। इस बार बुद्ध पूर्णिमा का पर्व गुरुवार 23 मई को मनाई जाएगा । यह पर्व हिंदू और बौद्ध दोनों ही धर्मों के अनुयायी मनाते हैं। बुद्ध पूर्णिमा को बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति के दिन के रूप में देखा जाता है और और इसी दिन उनका महानिर्वाण भी हुआ था। वहीं हिंदू मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने अपना 9वां अवतार बुद्ध के रूप में लिया था ।
शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था. इसलिए हर साल वैशाख पूर्णिमा तिथि पर बुद्ध जयंती मनाई जाती है। इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है। वैशाख पूर्णिमा के दिन का हिंदू धर्म में बेहद महत्व है, जोकि इस वर्ष गुरुवार, 23 मई 2024 को मनाई जाएगी । इस दिन लोग सत्यनारायण कथा करते हैं, चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं। ऐसा कहा जाता है जो लोग इस पवित्र दिन पर उपवास रखते हैं उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होती हैं । साथ ही उनके घर पर माता लक्ष्मी का वास सदैव के लिए हो जाता है ।
शास्त्रों में निहित है कि वैशाख पूर्णिमा तिथि पर भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और परिनिर्वाण हुआ था. इसलिए इस दिन भगवान बुद्ध की पूजा-उपासना की जाती है. लोग गंगा समेत पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं. साथ ही पूजा-पाठ कर दान-पुण्य करते हैं। यह त्योहार बौद्ध धर्म के लोगों के लिए खास माना जाता है. इस दिन गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) की शिक्षाओं का पालन किया जाता है और उनकी विशेष पूजा की जाती है. बुद्ध पूर्णिमा का त्योहार मुख्य रूप से पूर्वी एशिया और दक्षिण एशिया में मनाया जाता है. इसी शुभ तिथि पर गौतम बुद्ध का जन्म नेपाल के लुंबिनी में हुआ था. गौतम बुद्ध ने 35 वर्ष की आयु में निर्वाण प्राप्त कर लिया था.
बुद्ध पूर्णिमा शुभ योग
इस साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जोकि बहुत ही शुभ माने जाते हैं. बुद्ध पूर्णिमा के दिन परिघ योग, शिव योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहे है।
चंद्रमा को अर्घ्य देने की है परंपरा
बुद्ध पूर्णिमा के दिन बोधगया में दुनियाभर से बौद्ध धर्म को मानने वाले आते हैं और बोधि वृक्ष की पूजा करते हैं. वैशाख पूर्णिमा पर पवित्र नदी के जल से स्नान के बाद घर में भगवान सत्यनारायण की पूजा और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने की परंपरा है. माना जाता है कि चंद्रमा को अर्घ्य देने से मानसिक शांति मिलती है और सुख-समृद्धि का वास होता है। पूर्णिमा तिथि 22 मई को देर रात 06:47 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 23 मई को संध्याकाल 07:22 मिनट पर समाप्त होगी. सनातन धर्म में उदया तिथि मान्य है. अतः 23 मई को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी.
वैशाख मास की पूर्णिमा को वैशाखी पूर्णिमा,पीपल पूर्णिमा (Peepal Purnima 2024) या बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा सभी में श्रेष्ठ मानी गई है. प्रत्येक माह की पूर्णिमा जगत के पालनकर्ता श्री हरि विष्णु भगवान को समर्पित होती है. भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार माना गया है.
जिन्हें इसी पावन तिथि के दिन बिहार के पवित्र तीर्थ स्थान बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे बुद्धत्व की प्राप्ति हुई थी. वहीं वैशाख माह को पवित्र माह माना गया है. इसलिए हजारों श्रद्धालु पवित्र तीर्थ स्थलों में स्नान,दान कर पुण्य अर्जित करते हैं. पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्त्व माना गया है.
इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा नदी में पवित्र स्नान करें. जो लोग गंगा नदी स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं, वे घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल (Gangajal) मिलाएं. कुछ लोग इस दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के लिए हरिद्वार, ऋषिकेश (Rishikesh) और अन्य प्रमुख स्थानों पर भी जाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि गंगा जल शरीर, मन और आत्मा को शुद्ध करता है. इस दिन लोग भगवान चंद्र को अर्घ्य देते हैं और उनके वैदिक मंत्रों का जाप करते हैं. यह खास दिन दान-पुण्य के लिए भी फलदायी माना जाता है.
पूर्णिमा के दिन ब्राह्मणों को भोजन और वस्त्रों का दान करना चाहिए. इस दिन भक्त सत्यनारायण व्रत रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं. पूर्णिमा का दिन बेहद खास माना जाता है, क्योंकि चंद्रमा की रोशनी सीधे पृथ्वी पर आती है, जिससे घर में समृद्धि और खुशी का वास होता है. इस दिन जरूरतमंदों को भोजन खिलाना चाहिए और वस्त्रों का दान करना चाहिए