मथुरा। अब ब्रज में धार्मिक महत्व से जुडे कुंडों को सजाने और संवारने का काम देश का प्रतिष्ठित औद्योगिक घराना टाटा करने जा रहा है। इसके लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद और टाटा ग्रुप के बीच सहमति बन गई है। प्रथम चरण में गोवर्धन स्थित मानसी गंगा सहित सात कुंडों पर काम होगा।
भगवान श्रीकृष्ण की जन्म और लीला स्थली मथुरा क्षेत्र में कुंडों का अपना अलग ही महत्व है। यहां से अधिकांश कुंड धार्मिक लीलाओं से जुडे हैं। यही कारण है कि लोगों की भावना ब्रज में कुंडों के प्रति धार्मिक आस्था हैं। इन कुंडों के संरक्षण की दिशा में पिछले कई सालों से उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद द्वारा कार्य किया जा रहा है। अब एक नई पहल उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद ने देश के प्रतिष्ठित औद्योगिक घराना टाटा के साथ की है। इसके तहत अब टाटा ग्रुप ब्रज के कुंडों को पुनर्जीवित करने का काम करेगा। इस संदर्भ में गुरुवार को उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सभागार में परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र की अध्यक्षता में अहम बैठक हुई। बैठक में नगर आयुक्त शशांक चौधरी भी मौजूद रहे।
इस दौरान टाटा ग्रुप के अधिकारियों को ब्रज के कुंडों की वर्तमान स्थिति और उनके धार्मिक महत्व के चलते आम लोगों से उनके सामाजिक सरोकार की जानकारी दी गई। प्रथम चरण में टाटा ग्रुप ने सात कुंडों के विकास पर सहमति जताई। उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र ने चयनित कुंडों के पानी के ईको रेस्टोरेशन की प्रक्रिया को अहम बताया। परिषद और टाटा ग्रुप के अधिकारियों ने तय किया कि कुंडों की मरम्मत, रखरखाव सहित आसपास की आबादी के गंदे पानी को भी कुंडों में गिरने से रोका जाएगा। इसके बाद कुंडों के पानी को आचमन योग्य बनाया जाएगा। इसके लिए टाटा ग्रुप संबंधित कुंडों का तकनीकी टीम के साथ सर्वे कराएगा। सर्वे उपरांत तैयार होने वाली डीपीआर पर काम किया जाएगा।
बैठक में टाटा ग्रुप के अधिकारियों के साथ उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के पर्यावरण विशेषज्ञ मुकेश शर्मा, सेवा निवृत्त सहायक अभियंता दूधनाथ सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद रहे।
इन कुंडों पर होगा काम
मानसी गंगा गोवर्धन, राधा कुंड गोवर्धन, श्याम कुंड गोवर्धन, अष्ट सखी कुंड गोवर्धन, कृष्ण कुंड लोहवन, गरुण गोविंद छटीकरा, नरी सेमरी कुंड छाता, शांतनु कुंड सतोहा
टाटा ग्रुप के साथ जनपद के सात प्रमुख कुंडों के पुर्नत्थान पर काम करने की सहमति बनी है। इसमें चयनित कुंडों के जल को प्रथम चरण में प्रदूषित होने से रोकने के बाद आचमन योग्य बनाया जाना है। जहां पानी की उपलब्धता नहीं है उसकी भी सुनिश्चितता की जाएगी। चयनित सभी कुंड धार्मिक महत्व से जुडे होने के साथ लाखों श्रद्वालुओ की आस्था का भी केंद्र हैं।
शैलजाकांत मिश्र, उपाध्यक्ष
उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद