शनिवार आता नही कि हम हर शनि मंदिर में देखते है कि शनि भगवान में उनके भक्त सरसों का तेल चढ़ा रहे होते है। जिसके कारण शनि भगवान की मूर्ति सरसों के तेल से डूब जाती है। उस समय हमारें दिमाग में यह बात जरुर आती होगी कि आखिर शनि भगवान को सरसों का तेल क्यो चढ़ाया जाता है। वो भी केवल शनिवार के दिन ही क्यों।
हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि शनि भगवान को तेल चढ़ाने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसा माना जाता है। साथ ही यह भी कहा जाता है कि अगर आापको साढ़े सती या ढय्या लगी हो तो हर शनिवार के दिन शनि मंदिर में जाकर सरसों का तेल और कालें तिल चढ़ाने चाहिए। इससे आपको शनि का कृपा मिलती है। जानिए सरसों का तेल चढ़ाने की पौराणिक कथा के बारें।
रामायण के अनुसार पौराणिक कथा:- हिंदू धर्म की ग्रंथ रामायण में इस बारें में विस्तार से लिखा है। इसके अनुसार रामायण काल में एक बार शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था। लेकिन उस काल में भगवान हनुमान के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी। जब शनि देव को भगवान हनुमान के बारें में पता चला तो वह भगवान हनुमान से युद्ध करने के लिए निकल पड़े। जब भगवान शनि हनुमान के पास पहुचें तो देखा कि भगवान हनुमान एक शांत स्थान पर अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे है।
शनिदेव ने उन्हें देखते ही युद्ध के लिेए ललकारा। जब भगवान हनुमान ने शनिदेव की युद्ध की ललकार सुनी तो वह शनि देव को समझाने लगे कि यह सही नही है। लेकिन शनिदेव ने एक बात न मानी और युद्ध के लिए अड़ गए। इसके बाद भगवान हनुमान शनिदेव के साथ युद्ध के लिए तैयार हो गे। अंत में दोनों के बीच घमासान युद्ध हुआ। इस युद्ध में शनिदेव भगवान हनुमान से बुरी तरह हार गए। भगवान हनुमान के प्रहारों से शनिदेव का पूरा शरीर चुटहिल हो गया जिसके कारण उसमें दर्द होने लगा। इसके बाद भगवान ने शनिदेव को तेल लगाने के लिए दिया। जिससे उनका पूरा दर्द गायब हो गया। इसी कारण शनिदेव ने कहा जो भी मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा। उसकी सभी पीडा हर लूंगा और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करुगा।
इसीकारण तब से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई और शनिवार का दिन शनिदेव का दिन होता है। जिसके कारण इस दिन तेल चढ़ानें से जल्द आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।