मथुरा। लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण में होने जा रहे मतदान के लिए अब मथुरा में महज एक पखवाडा बाकी रह गया है। इसके बावजूद चुनाव प्रचार का शोर गुल धर्म नगरी में गुम है। आम लोगों में चुनाव को लेकर पूरी तरह से नीरसता पसरी हुई है। इसका असर मतदान प्रतिशत पर भी 26 अप्रैल को पड सकता है। मथुरा संसदीय क्षेत्र के लिए 15 उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं। इसमें वर्तमान सांसद हेमामालिनी तीसरी बार मथुरा का प्रतिनिधित्व करने के लिए भाजपा से चुनाव मैदान में उतरी हुई हैं, जबकि कांग्रेस ने प्रदेश महासचिव मुकेश धनगर को उम्मीदवार बनाया है। बसपा से सुरेश सिंह चुनाव मैदान में हैं। इन दलीय प्रत्याशियों के अलावा 12 निर्दलीय उम्मीदवार भी चुनाव लड रहे हैं लेकिन अब तक चुनाव में जोश नहीं है। मुख्य मार्गों पर न तो पोस्टर बैनर नजर आ
रहे हैं और न माइकों की आवाज कहीं गूंजती सुनाई दे रही है। चुनाव का शोर गुल पूरी तरह से गायब है। आम लोगों में भी चुनाव को लेकर कोई खास उत्सुकता दिखाई नहीं दे रही है। इस नीरसता का असर 26 अप्रैल को होने वाले मतदान में पड सकता है। लोगो का कहना है कि सबको परिणाम का आभास है इसलिए जोर आजमाइश कम दिखाई दे रही है।
2014 के चुनाव में मथुरा में 64.1 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमेें भाजपा से उम्मीदवार हेमामालिनी को 574633 मत मिले थे, जबकि प्रतिद्वंदी रालोद से जयंत चौधरी को 3307443 मत ही मिल सके थे। इस तरह कुल मतदान का 53 प्रतिशत मत हेमामालिनी को मिला था। 2019 के चुनाव में 2014 के मुकाबले कम मतदान हुआ था। 2019 में 60. 48 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें 671293 हेमामालिनी के खाते में गए थे जबकि रालोद से कुंवर नरेंद्र सिंह को 377822 वोट मिले थे। इस तरह 2019 के बाद हेमामालिनी की जीत का अंतर तो बढ़ा है परन्तु मतदान प्रतिशत गिरा था। इस बार चुनाव प्रचार की बेहद धीमी गति को देखते हुए मतदान प्रतिशत में और भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है।