मथुरा। इस बार माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं। माता रानी का घोडे पर सवार होकर आना शुभ संकेत नहीं माना जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह युद्ध, संघर्ष और अशांति का संकेत है।
चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल को रात 11.50 से प्रारंभ हो रही है, अर्थात इस बार नवरात्र मंगलवार से शुरू होंगी। ज्योतिषाचार्य आलोक गुप्ता का मत है कि भागवत पुराण के अनुसार नवरात्र पर मां दुर्गा का घोड़े की सवारी करते हुए आने का असर प्रकृति, देश आदि पर देखने को मिलता है। घोड़ा युद्ध का प्रतीक माना गया है। घोड़े पर माता का आगमन शासन और सत्ता के लिए शुभ नहीं बताया है। देश में प्राकृतिक हानि और आपदा के संकेत हैं।
हालांकि इस बार चैत्र नवरात्रि पर 30 साल बाद अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का सुंदर संयोग भी बन रहा है। अमृत सिद्धि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग 9 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि के पहले दिन रेवती नक्षत्र प्रात काल से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से अश्विनी नक्षत्र सुबह 07 बजकर 32 मिनट से अगले दिन 10 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 06 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा चैत्र नवरात्रि के पहले दिन रेवती नक्षत्र प्रात काल से लेकर सुबह 07 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
मान्यता है कि यदि मंगलवार को अश्विनी नक्षत्र हो तो वह अमृत सिद्ध योग बनाता है। इस बार की नवरात्रि में अश्विनी नक्षत्र के दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है जिस दौरान सूर्य का मीन राशि में प्रवेश भी होगा। ऐसा संयोग 30 साल बाद बन रहा है जो बहुत शुभ है।
पौराणिक मान्यताएं
नवरात्रि के प्रथम दिन यानी चौत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि को ब्रह्म देव ने इस सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। ब्रह्म पुराण के अनुसार, ‘चौत्रे मासि जगद् ब्रह्मा ससर्ज प्रथमे अहनि। शुक्ल पक्षे समग्रेतु सदा सूर्योदये सति।’ इसका अर्थ है कि ब्रह्म देव ने सृष्टि की रचना चैत्र मास के प्रथम दिन, प्रथम सूर्योदय होने पर की. प्रतिपदा तिथि से ही वासंतिक नवरात्रि प्रारंभ होती है। नवरात्रि का पर्व देशभर में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। 9 दिनों तक आदिशक्ति मां दुर्गा के अलग अलग स्वरुपों की उपासना की जाती है। वैदिक गणना के अनुसार 9 अप्रैल से हिंदू नववर्ष यानि विक्रम संवत 2081 की शुरुआत होने जा रही है।
घटस्थापना
मथुरा के ज्योतिषाचार्य पंडित अजय तेलंग का कहना है कि पंचांग के अनुसार नवरात्र के नौ दिनों में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत मंगलवार से हो रही है। इस दिन घटस्थापना के बाद ही मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। हालांकि चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 08 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से होगी और इसका समापन 09 अप्रैल को रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 09 बजकर 12 मिनट से लेकर 10 बजकर 47 तक शुभ चौघडिया है। इसके बाद अति शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57मिनट से 12 बजकर 48 तक है। इसमें अभिजित मुहूर्त वैधृति योग का संयोग भी मिल रहा है। इसके बाद नवरात्र के 9 दिनों तक यानी 17 अप्रैल तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाएगी।