रायपुर/जम्मू। छत्तीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के बाद अगवा किए गए कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा कर दिया गया है। उन्हें 3 अप्रैल को मुठभेड़ के बाद छत्तीसगढ़ में नक्सलवादियों द्वारा बंदी बना लिया गया था। सीआरपीएफ ने कहा कि उन्हें गुरुवार शाम को रिहा कर दिया गया।
210वीं कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट ऐक्शन (कोबरा) के कांस्टेबल राकेश्वर सिंह मन्हास की मुक्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा कुछ प्रमुख लोगों को नक्सलियों से बातचीत के लिए नामित किए जाने के बाद गुरुवार शाम उन्हें मुक्त कर दिया गया।
उन्हें राज्य पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) को सौंप दिया गया।
सीआरपीएफ के आईजी (ऑपरेशंस) सी.जी. अरोड़ा ने आईएएनएस को बताया कि मन्हास फिलहाल शारीरिक रूप से ठीक है।
जम्मू में मन्हास के परिवार में उनकी रिहाई की खबर सुनते ही जश्न का माहौल बन गया।
पड़ोसी और परिवार के सदस्य उसके घर पहुंचे, लोगों ने देशभक्ति के नारे लगाए और मिठाई बांटकर उनकी रिहाई की खबर पर जश्न मनाया। उनकी पत्नी ने कहा कि जब से वह नक्सलवादियों द्वारा बंदी बनाए गए थे, तब से वह सोई नहीं थी।
मीनू ने कहा, मैं प्रधानमंत्री को धन्यवाद देना चाहती हूं। मैं पिछले छह दिनों से सो नहीं पा रही थी।
मन्हास के भाई साहिल ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि वह रिहा हो गया है। हमें सिर्फ खबर मिली है।
तीन अप्रैल को छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 300 से अधिक पीएलजीए नक्सलियों के साथ भीषण गोलीबारी के बाद मन्हास लापता हो गए थे। इस गोलीबारी में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और 31 घायल हुए थे। सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ के जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के 1,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों ने ऑपरेशन में हिस्सा लिया था।
मंगलवार को भाकपा-माओवादी की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी ने मन्हास को अपनी हिरासत में सुरक्षित घोषित किया था और उनकी रिहाई के लिए एक वातार्कार नियुक्त करने की मांग की थी।
गृह मंत्रालय छत्तीसगढ़ सरकार के साथ संभावित वातार्कार के नाम की तलाश में व्यस्त था, इसी बीच मन्हास को रिहा कर दिया गया।