दिनेश सिंह तरकर
मथुरा। वंशी अवतार श्रीहित हरिवंश चन्द्र महाप्रभु की जन्मस्थली श्रीजी मंदिर बाद ग्राम में बुधवार के दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ श्रीजी मंदिर के महंत दम्पति शरण महाराज एवं कवियों ने दीप प्रज्वलन तथा गाँव के संभ्रांत लोगों द्वारा महाप्रभुजी की प्राकट्य स्थली पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कवि सम्मेलन अशोक अग्य की सरस्वती वंदना से आरंभ हुआ। जिसमें विनीत गौतम ने कहा “सन्नाटा छा गया बटवारे के किस्से में, जब माँ ने पूछा मैं हूँ किसके हिस्से में।” वहीं कवि गोपाल प्रसाद गोप ने राधा तत्व का विश्लेषण करते हुए कहा “ढूंढ़े ते मिल्यौ न अपनों सौ कोई, तो स्वयं राधा जी के रूप कूँ सजायौ है।”
डीग से आए सुनील पाराशर ने कहा “शुक्ल माह बैसाख की तिथि एकादश नाम “जन्मे श्री हरिवंश जी बाद सहायौ ग्राम।” वहीं कवियित्री रेंनू उपाध्याय ने होली का गीत प्रस्तुत कर खूब तालियाँ बटोरीं। इसके बाद देवी प्रसाद गौड़ ने कहा “यह पुन्य पुनीता बाद गाँव की धरती है, इसके कण -कण में संतो की रुह बिखरती है, इन पेड़ों के पत्तों से लाला बाबा की तस्वीर उतरती है।” कार्यक्रम को ऊँचाई देते हुए ओज के कवि उमाशंकर राही ने कुछ यूँ कहा “लिया जन्म मानव का इंसान बनकर जी, एक दिन को जी पहचान बन कर जी। लिया है जन्म भारत में सौभाग्य है तेरा, वतन की आन बनकर जी वतन की शान बन कर जी।”…
कवि सम्मेलन को चर्मोत्कर्ष देते हुए डॉ. रमाशंकर पांडे ने कहा “पाप ताप प्रचंड है तो शीतल मंद बयार है, राधा भक्तों के प्राण अधार हैं तो श्याम का प्राण आधार है राधा। कवि सम्मेलन का समापन राकेश कौशिक की कविता से हुआ। इस मौके पर राधावल्लभ बाबा खेलन बिहारी मुखिया बालो बाबा तुलसीराम उपाध्याय राधा वल्लभ पंडित कल्याण लंबरदार मुकेश उपाध्याय, चंदन तरकर, संजय पांडेय आदि लोग मुख्य रूप से उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीजी मंदिर के महंत दम्पति शरण महाराज ने की एवं संचालन देवी प्रसाद गौड़ ने किया।