मथुरा । श्री दीपक ज्योतिष भागवत संस्थान द्वारा प्रकाशित ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी द्वारा सम्पादित श्री राधागोविन्द देव पंचांगम् का ब्रज के पूज्य सन्तों, धर्माचार्यों, भागवत प्रवक्ताओं, विद्वानों बुद्धिजीवियों, समाजसेवियों के घर घर तक अक्षय तृतीया से पंचांग समर्पण कार्यक्रम किया जाएगा। इस सम्बन्ध में छत्ता बाजार स्थित प्राचीन श्री गोवर्धन नाथ मन्दिर में भगवान श्री गोवर्धन नाथ एवं श्यामसुंदर श्री यमुना जी के चरणों में पंचांग का समर्पण किया गया। इस अवसर पर ज्योतिषाचार्य पंडित कामेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने जानकारी देते हुए कहा कि विगत 35 वर्षों से श्रीराधागोविन्द देव पंचांगम् का निरंतर प्रकाशन किया जा रहा है यह पंचांग भारतीय काल गणना अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारम्भ होता है। पंचांग प्राप्त करने के लिए लोगों में भारी उत्सुकता रहती है। शरद साहित्य आचार्य एवं दीपक ज्योतिषाचार्य ने बताया कि अक्षांश 27, 28 एवं रेखांश 77,41 इस पंचांग के आधार स्तंभ है ।
इस अवसर पर आचार्य ब्रजेन्द्र नागर ने कहा कि भारतीय परम्पराओं और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए पंचांग प्रत्येक परिवार में आवश्यक है। मनुष्य के जन्म से मृत्यु तक सभी संस्कार और मांगलिक शुभ मुहूर्तों और तीज त्यौहारों की जानकारी प्राप्त करने के लिए पंचांग का ही उपयोग किया जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि पंचांग में दी जाने वाली भविष्यवाणी शत् प्रतिशत सत्य होने के कारण आम लोगों में श्रीराधागोविन्द देव पंचांगम् पर विश्वास बना हुआ है यह पंचांग 35 वर्षों में लोकप्रिय बन गया है। यह 36वां वर्ष है सौरभ शास्त्री चतुर्वेदी कार्यक्रम में गोवर्धन नाथ मन्दिर के सेवायत लोकेन्द्र नाथ कौशिक एवं रामदास चतुर्वेदी ने पंचांग की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीराधागोविन्द देव पंचांगम् में शास्त्रोक्त बहुत सी जानकारियां प्राप्त होती है जो आम जनमानस के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। पंचांग में छोटी बड़ी भविष्यवाणी दी गई हैं। इस अवसर पर अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर भृगु वंश में महर्षि जमदग्नि और मां रेणुका के पुत्र शस्त्र और शास्त्र के ज्ञाता भगवान शिव के परमभक्त भगवान विष्णु के छठे अवतार अखिल ब्रह्माण्ड नायक महर्षि परशुराम जी के प्राकट्योत्सव पर वैदिक विधिविधान से पूजन कर उनके जीवन पर विद्वानों द्वारा प्रकाश डाला गया। इस अवसर पर सौरभ शास्त्री, मनोज पाठक, तरुण नागर, मनीष पाठक शास्त्री, शरद शास्त्री ऋषभ देव, गोविन्द देव आदि ने भी विचार व्यक्त किए।