दिल्ली के सीआरपीएफ स्कूल के बाहर ऐसा विस्फोटक धमाका हुआ कि राजधानी दहल उठी और पूरी दिल्ली में ‘अलर्ट’ घोषित करना पड़ा। रोहिणी के प्रशांत विहार में यह धमाका हुआ। यह इलाका आउटर रिंग रोड से मात्र 800 मीटर दूर स्थित है और प्रमुख बाजारों में इसकी गिनती होती है। गनीमत है कि सुबह 7 बजे के करीब का वक्त था और रविवार छुट्टी का दिन था। हालांकि लोग ‘करवा चौथ’ पर्व मनाने को अपने-अपने घरों में मौजूद थे। सडक़ पर लगभग सन्नाटा था, क्योंकि आवाजाही नगण्य थी, लेकिन विस्फोटक धमाका इतना प्रचंड था कि स्कूल की वह दीवार ढह गई और वहां गहरा गड्ढा हो गया। करीब 15 बंद दुकानों की इमारतें, बोर्ड और शीशे क्षतिग्रस्त हुए। करीब 3 किलोमीटर तक धमाके की गूंज सुनाई दी। जो लोग आसपास के पार्क में टहल रहे थे, वे धमाके की आवाज सुनकर एकबारगी तो सुन्न हो गए।
गनीमत है कि कोई हताहत या घायल नहीं हुआ, फिर भी इसे सामान्य घटना नहीं मान सकते। एक दिन पहले शनिवार को घटनास्थल के पास ही महिलाओं की भीड़ ‘करवा चौथ’ की मेहंदी रचा रही थीं। घटनास्थल पर लोग अपनी कारें खड़ी कर सामने पूड़ी-सब्जी की दुकान पर यह व्यंजन खाते थे। स्कूल आने वाले अभिभावक और अन्य लोग घटनास्थल की दीवार से सटा कर ही अपने वाहन लगाते थे। दीवार की तरफ ही स्कूल के भीतर प्रार्थना हुआ करती थी। यदि धमाके का दिन और वक्त कुछ और ही होता, तो भारी तबाही लगभग तय थी। यह महज दहशत पैदा करने अथवा कोई संदेश देने या शरारतपूर्ण घटना नहीं हो सकती। यह आतंकी हमला भी हो सकता है। जांच एजेंसियां इसी कोण से जांच कर रही हैं। दिल्ली के उपराज्यपाल ने बहुएजेंसियों की जांच के आदेश दिए हैं। बम निरोधक दस्ते और विशेषज्ञ श्वान दस्ते ने भी जांच में अपनी भूमिका निभाई है। वैसे एनएसजी, एनआईए, दिल्ली पुलिस की स्पेशल शाखा, फोरेंसिक लैब, गुप्तचर ब्यूरो आदि ने शुरुआती जांच के लिए घटनास्थल से नमूने लिए हैं। सीसीटीवी फुटेज खंगाली गई हैं। साक्ष्य जुटाए जा रहे हैं।
यह विस्फोटक धमाका 7 सितंबर, 2011 के आतंकी हमले के बाद हुआ है, लिहाजा आश्चर्यजनक और खौफजदा भी है। यदि आतंकी हमले पर ‘शक की सुई’ टिकती है, तो आतंकी गुट कौनसा हो सकता है? अथवा इस साजिशाना हमले का मकसद क्या हो सकता है? दिल्ली में बीते 20 सालों के दौरान एक दर्जन विस्फोटक धमाके हुए हैं। उनमें से सिर्फ तीन ही ऐसे हमले थे, जिनमें जान-माल का नुकसान खूब हुआ। 2011 का आतंकी हमला दिल्ली उच्च न्यायालय के गेट नंबर 5 पर सुबह 10.15 बजे के करीब हुआ था। उस विस्फोट में 17 लोगों की मौत हुई और 76 लोग घायल हुए। उसके बाद दिल्ली में कोई बड़ी आतंकी घटना नहीं हुई। अब यह दीपावली का त्योहारी मौसम है। इस विस्फोटक धमाके ने दिल्ली की चिंताएं बढ़ा दी हैं। बाजारों में खरीददारी के लिए भीड़ उमड़ रही है, लिहाजा भीड़ की सुरक्षा सबसे अहम चुनौती है। सदर बाजार का ही उदाहरण लें, तो वहां 3-4 लाख लोग हर रोज खरीददारी करने आते हैं। दिल्ली के बाजारों पर आतंकी हमले किए जा चुके हैं। बहरहाल घटनास्थल से सफेद पाउडर जैसा रसायन मिला है। कुछ तारें भी बरामद की गई हैं। अभी तक की जांच में जो सामने आया है, वह घर पर बनाए बम की ओर संकेत कर रहा है, जिसकी तीव्रता कम थी और वह समय से पहले फट गया। हम किसी भी निष्कर्ष पर नहीं जाएंगे, क्योंकि बम वाले निष्कर्ष पर सभी एजेंसियां सहमत नहीं हैं। सवाल यह भी है कि क्या हमारे सुरक्षा बल आतंकियों के निशाने पर हैं? क्या इसीलिए सीआरपी के स्कूल को निशाना बनाया गया? बताया गया है कि सोमवार 21 अक्तूबर को इसी स्कूल में पीटीएम का आयोजन होना था, जिसमें बड़ी संख्या में अभिभावकों के आने की संभावना थी। यदि यह धमाका आतंकी हमला साबित होता है, तो एक बार फिर राजधानी आतंकवाद के निशाने पर आती लगती है।