वृंदावन। स्वामी हरिदास संगीत और नृत्य महोत्सव में भारतीय शास्त्रीय संगीत की नामचीन गायक कौशिकी चक्रवर्ती के अदभुद गायन ने श्रोताओं को मध्य रात्रि तक बांध कर रखा। श्री मति चक्रवर्ती को सुनने के लिए संगीत प्रेमियों से पंडाल देर रात तक खचाखच भरा हुआ था। जब सुर साधिका कौशिकी चक्रवर्ती ने मंच संभाला तो श्रोताओं में उत्साह दुगना हो गया। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत बंदिश से की राग श्याम कल्याण में जब श्याम की मन में समाई तो श्रोता तालियां बजाने पर मजबूर हो गए।
इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने चलो मन वृंदावन की ओर के साथ जमुना किनारे मेरो गांव,सांवरे आ जइयो प्रस्तुत किया। सुर साधिका के मधुर कंठ से निकले स्वरों में राधे राधे जपते दिख जाए चितचोर और श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी,गोविंद दामोदर माधवेति, को श्रोताओं ने जमकर सराहा। उनके साथ हारमोनियम पर मिलिंद कुलकर्णी, तबले पर ओजस आधिया पखावज पर ओमकार दलवी, बांसुरी पर आकाश सतीश कुमार, मजीरे पर अनिल और तानपुरे पर आस्था और विशाखा ने संगत दी।
रात्रि के अंतिम पहर में देश के प्रमुख पखावज वादक पंडित रवि शंकर उपाध्याय के उनके बेटे ऋषि शंकर उपाध्याय और बेटी महिमा उपाध्याय की पखावज पर संगत ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने अपने वादन की शुरुआत चोताल में गणपति वंदना से करते हुए बारह मात्रा में पखावज वादन की बारीकियों से श्रोताओं को रूबरू कराया। पखावज पर थिरकती उपाध्याय परिवार की जादुई अंगुलियों ने सैकड़ों संगीत प्रेमियों को झूमने पर मजबूर किया।