-डा. भरत मिश्र प्राची-
देश में 19 अप्रैल से 1जून तक 7 चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव कुछ नया ही परिणाम लेकर आने वाले है। देश में पहली बार लोकसभा के चुनाव लम्बें समय में कुछ नये ढंग से कराये जा रहे है जिसमें उत्तर प्रदेश एवं पंश्चिम बंगाल के लोकसभा चुनाव 7 चरणों में एवं बिहार के 6 चरणों में खंड-खंड करके पहली बार होते देखे जा सकते। चुनाव अपने तरीके से कराने का चुनाव आयोग स्वतंत्र है। इस तरह के चुनाव आयोग के नये प्रयोग देश के लोकतंत्र को किस कगार पर खड़ा करेंगे यह तो आने वाला कल हीं बता पायेगा।
लोकसभा के अभी तक चार चरणों के चुनाव हो चुके है, शेष चरण बाकी है। अभी तक के हुये लोकसभा चुनाव में अधिकांशतः पहले से कम मतदान होने की चर्चा का आंकलन अपने-अपने तरीके से किया जा रहा है। जो उत्साह पहले आम चुनाव में भारतीय मतदाताओं का नजर आता था वह इस चुनाव में देखने को नहीं मिल रहा है। इस बार के अब तक हुये लोकसभा चुनाव में कम मतदान होना लोकतंत्र के प्रति आम जन की उदासिनता को अवश्य दर्शा रहा है। आगे के चुनाव का क्या रूप रहेगा अभी कुछ कहा नहीं जा सकता पर पुत के पांव पालने में वाली कहावत चरितार्थ होने की ज्यादा संभावना है जो सत्ता का परिदृश्य भी बदल सकता है।
इस बार के लोकसभा चुनाव में एक तरफ चार सौ पार की हुंकार है तो दूसरी ओर सत्ता बेदखल कर सत्ता पाने की लालसा है। इस कड़ी में चुनाव के दौरान कई रंग देखे जा सकते। एक दूसरे पर बेलगाम बोल की बौछार देखी जा सकती। इस मामले में कोई किसी से कम नहीं। सत्ता पक्ष अपनी ताकत के बल सत्ता पर आने की भरपूर कोशिश में लगा है तो विपक्ष अपने तरीके से सत्ता पाने की तैयारी में जुड़ा दिख रहा है। चुनाव के दौरान जांच एजेंसियों की कार्यवाही, जेल भेजने की प्रक्रिया पर उठती आवाज, विपक्षी घेरे से जांच एजेंसियों से बचने की प्रक्रिया में सत्ता पक्ष की ओर बढ़ते कदम जैसे अनेक सवाल चुनाव को एक नया मोड़ दे सकते है। इस तरह के हालात में होते लोकसभा के चुनाव अनोखे परिणाम दे सकते।
इस बार लोकसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा विशेष रूप् से छाया हुआ है। सत्त्ता पक्ष की ओर राम मंदिर निर्माण, मंदिर में श्री राम की विशाल प्रतिमा की स्थापना, प्राण प्रतिष्ठा, के साथ हिन्दुत्व का मुद्दा, महिला आरक्षण का मुद्दा, जोर शोर से चर्चा में छाया है तो विपक्ष की ओर से महंगाई, बेरोजगारी की बात आम जन के सामने प्रमुख बनी हुई है। सत्ता पक्ष एवं विपक्ष अपनी ओर से आम जन को राहत देने की तमाम घोषणाएं कर रहा है। आम जन किसकी बात पर विश्वास कर अपना फैसला सुनाता है, 4 जून के परिणाम में समाहित है। इस बार सात चरणों में हो रहा नये ढंग का लोकसभा चुनाव कुछ नया रंग लेकर आ रहा है जिसमें समाहित है लोकतंत्र का भावी भविष्य।