चंडीगढ़ । पंजाब की ‘आप’ सरकार ने अपने लिए एक नई मुसीबत खड़ी कर ली है। मामला एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल से जुड़ा है। मंत्री करीब 20 महीने से एक ऐसे विभाग का नेतृत्व कर रहे थे, जो केवल कागजों पर ही था और जिसमें स्टाफ का आवंटन नहीं था।
यह तथ्य शुक्रवार को मुख्य सचिव द्वारा जारी गजट अधिसूचना में सामने आया, जिसमें कहा गया कि धालीवाल को आवंटित प्रशासनिक सुधार विभाग अस्तित्व में ही नहीं है। अब धालीवाल केवल एनआरआई मामलों के विभाग का प्रभार संभालेंगे। अधिसूचना में कहा गया है, “मंत्रियों के बीच विभागों के आवंटन के संबंध में पिछली पंजाब सरकार की अधिसूचना में आंशिक संशोधन करते हुए, धालीवाल को पहले आवंटित प्रशासनिक सुधार विभाग आज की तारीख में अस्तित्व में नहीं है।”
अधिसूचना में कहा गया है कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के आदेश पर धालीवाल के पोर्टफोलियो में संशोधन का निर्णय 7 फरवरी, 2025 से प्रभावी होगा। इससे पहले, धालीवाल के पास कृषि और किसान कल्याण विभाग था। मई 2023 में कैबिनेट फेरबदल में उन्हें प्रशासनिक सुधार विभाग दिया गया। सितंबर 2024 में एक और कैबिनेट फेरबदल में धालीवाल को “अस्तित्वहीन” विभाग दिया गया। विपक्षी भाजपा ने भगवंत मान के नेतृत्व वाली आप सरकार की आलोचना की और इस फैसले को “केजरीवाल मॉडल” करार दिया।
भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल को ढोंगी बताया। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा, “आप पंजाब सरकार में संकट की कल्पना कर सकते हैं, यदि उन्हें यह समझने में 20 महीने लग गए कि उसके एक प्रमुख मंत्री को सौंपा गया विभाग वास्तव में अस्तित्व में ही नहीं था।”