दुनिया के कई ऐसे छोटे देश या द्वीप हैं जिन्होंने अपने टैक्स नीति का सहारा लिया है अपने आपको विकसित करने और दुनिया भर के लोगों को अपने यहां आकर्षित करने के लिए, आकर वहां कम्पनी खोलने के लिए। ज्यादातर ऐसे देश द्वीपीय देश हैं जैसे केमन आइलैंड है, शेसेल्स द्वीप समूह, ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड, बहामास एवं मॉरिशस आदि जैसे देश । हालांकि इनमें से ज्यादातर को टैक्स हेवन बोला जाता है। मैं टैक्स हेवन के पक्ष में तो नहीं हूं लेकिन कुछ कर रियायतों के साथ जैसे की दुबई में है, वैसा ही हम भारत में टैक्स आकर्षण जोन का निर्माण कर सकते हैं। हमने एक प्रयोग गिफ्ट सिटी बनाकर किया है। बस ध्यान इतना रखना है कि इसका निर्माण पिछड़े क्षेत्रों में करें ताकि वहां विकास हो सके।
भारत के पास भी ऐसे कई आइलैंड हैं जैसे कि अंडमान निकोबार द्वीप समूह, दीव, पुडुचेरी या लक्षद्वीप टैक्स जोन के तर्ज पर डेवलप किया जा सकता है और दुनिया भर के निवेशकों का इसे हब बनाया जा सकता है। भारत के यह द्वीप दुनिया के लिए आकर्षक टैक्स जोन के रूप में कार्य कर सकते हैं। ऐसी स्थिति पूर्वोत्तर भारत के राज्यों के लिए भी की जा सकती है। ध्यान देने लायक बात है कि दुनिया के टैक्स आकर्षण वाले जोन में निवेशक तो जाते हैं लेकिन ज्यादातर गतिविधियां उनकी वहां के पर्यावरण से छेड़छाड़ की नहीं होती। वहां मुख्य उद्योग पर्यटन ही विकसित होते हैं जिससे उद्योग धंधे की जगह इसके विकसित होने से पर्यावरण को नुक्सान नहीं पहुंचता। भारत के ये द्वीप समूह या पूर्वोत्तर के राज्य नेचर कल्चर और एग्रीकल्चर में धनी होने के कारण कल कारखाने के गढ़ नहीं हो सकते। ऐसे में वहां टैक्स आकर्षण जोन खोलकर इन इलाकों का विकास भी किया जा सकता है और दुनिया भर से पूँजी को आकर्षित कर भारत से रूट भी किया जा सकता है।
दुनिया में जहां भी टैक्स आकर्षण जोन है जिसे लोग टैक्स फ्री जोन के रूप में जानते हैं, आइये उसके बारे में भी कुछ समझते हैं जिससे हमें भारत में ये कैसे कारगर होंगे, उसका एक अध्ययन प्राप्त होगा। टैक्स फ्री जोन एक ऐसे विशेष क्षेत्र होते हैं जहां व्यवसायों और व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के करों से छूट दी जाती है। ये क्षेत्र व्यापार को बढ़ावा देने, निवेश आकर्षित करने, और आर्थिक विकास को तेज़ करने के उद्देश्य से स्थापित किए जाते हैं। दुनिया के कई देशों ने खासकर छोटे एवं द्वीपीय समूह वाले देशों ने इन ज़ोन्स को विकसित किया है ताकि वे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
इन जोन के निर्माण से उनका आर्थिक विकास तेजी से हुआ है। ये टैक्स फ्री जोन स्थानीय और अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करते हैं जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होती है। ये जोन निवेशकों को कम लागत और टैक्स में छूट जैसे लाभ प्रदान करते हैं जिससे वे अपना व्यापार आसानी से बढ़ा सकते हैं। इन क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को सुविधाजनक बनाया जाता है जिससे देशों को विदेशी मुद्रा अर्जित करने में मदद मिलती है। दुनिया के प्रमुख टैक्स फ्री जोन में दुबई एक प्रमुख केंद्र के रूप में है। संयुक्त अरब अमीरात दुबई में ही कई फ्री ज़ोन्स हैं। यहां व्यवसायों को कॉर्पोरेट टैक्स, आयकर, और कस्टम ड्यूटी से कई तरह की विशेष छूट मिलती है।
हांगकांग भी टैक्स फ्रेंडली देश माना जाता है। यहां व्यापारिक आय पर बहुत कम टैक्स लगता है। सिंगापुर अपने सरल टैक्स सिस्टम और कम कॉर्पोरेट टैक्स के लिए जाना जाता है। यह क्षेत्रीय हब के रूप में काम करता है, जहां कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना संचालन केंद्रित करती हैं। केमन आइलैंड्स यह एक प्रमुख ऑफशोर टैक्स फ्रेंडली देश है जहां कॉर्पोरेट टैक्स, आयकर और पूंजीगत लाभ कर नहीं लगाया जाता। यह वित्तीय सेवा कंपनियों के लिए आकर्षक स्थान है।
स्विट्जरलैंड भी विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए कम टैक्स दरें प्रदान करता है। खासतौर पर बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में इसका बड़ा योगदान है। पनामा अपने टैक्स फ्री सिस्टम और गोपनीयता कानूनों के लिए प्रसिद्ध है। मॉरिशस एक प्रमुख टैक्स फ्रेंडली देश है जो व्यापार और निवेश के लिए अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करता है। यहां विदेशी निवेशकों को करों में छूट मिलती है, जिससे यह क्षेत्र वित्तीय और व्यापारिक गतिविधियों के लिए आकर्षक बनता है। इसके अलावा मॉरिशस का टैक्स फ्री सिस्टम पर्यटन को भी बढ़ावा देता है। टैक्स लाभों के चलते व्यवसायी और पर्यटक यहां बार-बार आना पसंद करते हैं जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है।
भारत में लगभग ऐसे ही गिफ्ट सिटी है। भारत की गिफ्ट सिटी भारत का पहला ऑपरेशनल स्मार्ट सिटी और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है। गिफ्ट सिटी में स्थापित व्यवसायों को कॉर्पोरेट टैक्स, आयकर और अन्य अप्रत्यक्ष करों में छूट मिलती है। यहां उन्नत यहां विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा और तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध हैं। भारत को एक वैश्विक वित्तीय सेवा केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।यहां कारोबार के लिए विशेष नीतियां और प्रक्रियाएं लागू की गई हैं, जिससे निवेशकों और कंपनियों को आसानी होती है। इस क्षेत्र में निवेशकों को अंतर्राष्ट्रीय डबल टैक्सेशन से बचाने के लिए विशेष प्रावधान हैं।