पंचाग के अनुसार अब के पितृपक्ष में लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करते हैं। गया में श्राद्ध का विशेष महत्व है, जहां इसे करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है। पं. अजय कुमार तैलंग ज्योतिषाचार्य ने बताया कि भगवान राम और माता सीता ने भी यहां अपने पिता दशरथ का पिंडदान किया था।
अबके पितृ पक्ष की शुरुआत 18 सितंबर से हो रही है । पितृपक्ष पर लोग पूर्वजों के लिए पूजा करते हैं। आत्मा की शांति के लिए पंडदान व श्राद्ध करते हैं। 2 अक्टूबर को पितृ पक्ष का समापन हो जाएगा । पितृपक्ष भाद्रपद पूर्णिमा पर लोग अपने पूर्वजों के लिए पूजा करते हैं। पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिले, इसलिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है। घर में सुख-समृद्धि आती है। यह श्राद्ध 16 दिन तक चलते है।
श्राद्ध के दिन नाखून काटना, बाल बनवाना, ढाड़ी बनवाने से तथा कपड़े धोने से पितृ नाराज़ होते हैं । अब के 17 सितंबर को पूर्णिमा तिथि है, इसलिए इस दिन पितृपक्ष की शुरूआत होने पर भी श्राद्ध नहीं किया जाएगा। आपको बता दें कि श्राद्ध की शुरूआत प्रतिपदा तिथि पर ही होती है। ऐसे में 18 सितंबर को पहला श्राद्ध किया जाएगा।
पितृपक्ष की श्राद्ध तिथियां
17 सितंबर पितृ पक्ष प्रारंभ, पूर्णिमा का श्राद्ध
18 सितंबर प्रतिपदा तिथि का श्राद्ध (पितृपक्ष आरंभ)-
19 सितंबर द्वितीया तिथि का श्राद्ध
20 सितंबर तृतीया तिथि का श्राद्ध
21 सितंबर चतुर्थी तिथि का श्राद्ध
22 सितंबर पंचमी तिथि का श्राद्ध ओर षष्ठी का श्राद्ध होगा।
23 सितंबर को सप्तमी तिथि का श्राद्ध
24 सितंबर अष्टमी तिथि का श्राद्ध
25 सितंबर नवमी तिथि का श्राद्ध
26 सितंबर दशमी तिथि का श्राद्ध
27 सितंबर एकादशी तिथि का श्राद्ध
28 सितंबर को को भी श्राद्ध नहीं है। इस दिन एकादशी है।
29 सितंबर द्वादशी तिथि का श्राद्ध
30 सितंबर त्रयोदशी तिथि का श्राद्ध
1 अक्टूबर चतुर्दशी तिथि का श्राद्ध
2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध किया जायेगा।
पं. तैलंग ने बताया कि जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि का पता नहीं है। उन्हें परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। वह सर्वपितृ अमावस्या के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। ऐसे लोग जो अगर अंतिम दिन भी श्राद्ध करते हैं तो उनके पितरों की आत्मा को शांति मिलती है ओर श्राद्ध पक्ष में तर्पण ब्राह्मण भोजन कराने से पितृ तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।