वृंदावन। सप्त देवालयों में से एक राधारमण मंदिर में स्वयं प्रकट भगवान राधारमण लाल का प्राकट्य उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। वैशाख पूर्णिमा के दिन 482 वर्ष पूर्व प्रकट हुए भगवान राधा रमण लाल का पंचामृत अभिषेक किया गया। इस अवसर पर पूरा मंदिर भगवान के जय जयकारों से गुंजायमान हो उठा।
जमीन से प्रकट हुए थे राधा रमण लाल
भगवान राधा कृष्ण की भूमि वृंदावन जिसे सप्त देवालयों की भूमि कहा जाता है। यहां चैतन्य महाप्रभु के शिष्य षठ ( 6) गोस्वामी ने भगवान कृष्ण के विभिन्न विग्रह को प्रकट किया था। इन्हीं में से एक है भगवान राधा रमण लाल। 482 वर्ष पूर्व वैशाख पूर्णिमा को स्वयं प्रकट हुए भगवान राधा रमण लाल की प्रतिमा त्रिभंगी है।
गोपाल भट्ट गोस्वामी ने किया था प्रगट
चैतन्य महाप्रभु के शिष्य गोपाल भट्ट गोस्वामी नेपाल की गंडक नदी से शालिग्राम जी की शिला लाए और वृंदावन में ला कर पूजा अर्चना करने लगे। गोपाल भट्ट गोस्वामी के मन में विचार आया कि सभी के भगवान के हाथ ,पैर और पूरा शरीर है। लेकिन उनके शालिग्राम शिला के तो कुछ नहीं। ऐसा सोच कर गोपाल भट्ट गोस्वामी विचलित रहने लगे। भक्त की आस्था देखकर शालिग्राम शिला वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को त्रिभंग रूप में बदल गई और राधारमण लाल के रूप में गोपाल भट्ट गोस्वामी को दर्शन दिए।
भगवान राधा रमण लाल का किया पंचामृत अभिषेक
वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को राधारमण लाल का मंदिर के पुजारियों ने पंचामृत अभिषेक किया। मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य पुजारियों ने दूध,दही,घी,शक्कर और शहद से भगवान राधा रमण लाल का अभिषेक किया। भगवान का 151 किलो पंचामृत से अभिषेक किया गया। इसके बाद भगवान का जड़ी बूटियों से मिश्रित शुद्ध जल से अभिषेक हुआ। भगवान का पंचामृत अभिषेक होने के बाद दिव्य श्रृंगार किया गया और फिर हुई आरती।
भक्तों ने लगाए भगवान राधा रमण लाल के जयकारे
भगवान राधा रमण लाल के प्राकट्य उत्सव के दौरान पूरा मंदिर परिसर मंगल बधाइयों से गुंजायमान हो उठा। मंदिर परिसर में भगवान के पंचामृत अभिषेक के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे। भक्त अपने आराध्य की एक झलक पाने को आतुर थे और उनकी जय जयकार करने लगे।