मथुरा। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन मथुरा रिफाइनरी को हाईकोर्ट से करारा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने उनको तत्काल मथुरा वृंदावन नगर निगम के टैक्स के रूप में बकाया धनराशि 80 लाख रुपए जमा करने के आदेश दिए हैं। मथुरा वृंदावन नगर निगम का सन 21 से लेकर 23 तक का विभिन्न प्रकार का टैक्स मथुरा रिफाइनरी पर करीब 80 लाख रुपए बकाया चल रहा था जिसके एवज में रिफाइनरी प्रबंधन से बार-बार पत्राचार कर धनराशि जमा करने की आग्रह किया गया था। नोटिस निर्गत होने की तिथि निकल जाने के पश्चात नगर आयुक्त ने उनका स्टेट बैंक में खाता सीज कर दिया था। विवाद को लेकर मथुरा रिफाइनरी प्रबंधन हाई कोर्ट गया।
दोनों पक्षों को सुनने के पश्चात हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त द्वारा खाता सीज करने की कार्रवाई को सही ठहराते हुए निर्देश दिए कि 15 दिन में रिफाइनरी प्रबंधन अपना प्रार्थना पत्र निगम को देकर निस्तारण कराए और बकाया धनराशि को अविलंब जमा कर दे। ज्ञात रहे कि मथुरा रिफायनरी प्रबंधन का कहना था कि हमारा संस्थान भारत सरकार के 243 एच आर्टिकल के मुताबिक सभी प्रकार के टैक्स से मुक्त है इसीलिए वह नगर निगम का टैक्स जमा नहीं करेंगे जबकि नगर निगम का कहना था कि यह आदेश केवल सेंट्रल के टैक्स के लिए लागू है स्टेट गवर्नमेंट या स्थानीय निकाय के नियमों पर लागू नहीं है। नगर निगम ने हाई कोर्ट में एक नए शासनादेश का हवाला देते हुए अवगत कराया की लोकल बॉडी अपने सभी प्रकार के टैक्स वसूलने के लिए सक्षम है हाई कोर्ट ने नगर निगम की इस बात को स्वीकार करते हुए मथुरा रिफाइनरी के खिलाफ आदेश जारी किया है। प्रयागराज हाईकोर्ट ने अपना ये आदेश 9 अप्रैल को जारी किया है।
इस संबंध में मुख्य कर निर्धारण अधिकारी एसके गौतम ने बताया कि मथुरा रिफाइनरी के अधिकारियों को अनेक बार समझाया गया था कि निगम की धनराशि का बिल न्यायोचित है परंतु वह लोग मानने को तैयार नहीं थे अब माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के उपरांत उक्त धनराशि जमा करानी होगी।
ज्ञात रहे कि मथुरा वृंदावन नगर निगम ने बीते वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड तोड़ 42 करोड़ रु की वसूली की है जबकि पूर्व में नगर निगम को मात्र 16 करोड़ रु ही प्राप्त हो पाते थे।